Tuesday, December 31, 2024

एक चिंतन

 एक चिंतन

महाभारत के युद्ध से पहले नारायण अवतार योगेश्वर भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को उसका धर्म स्मरण करवा कर युद्ध करने की सीख दी थी। 

श्री कृष्ण ने ये नहीं कहा था कि अर्जुन अस्त्र शस्त्र नीचे रख दो और अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए सब कुछ त्याग दो।

अगर श्रीकृष्ण ऐसा न करते तो उस कालखण्ड के नीच-पापी-असुरों-व्यभिचारियों का अंत न हो पाता और धरती उस कालखण्ड में पाप मुक्त न हो पाती।

बिल्कुल उसी प्रकार जब भारतवर्ष के बंटवारे की बात कहते हुए आतंक के बाप, "जिंद-जिन्नाह" ने उसके "डायरेक्ट ऐक्शन प्लान" को लागू करते हुए नापकिस्तान की मांग की थी तब भी अगर उस काल के वीरों द्वारा उस कालखण्ड के दुष्टों को (जो कि मॉडर्न हिस्ट्री के कदाचित सबसे पहले आतंकवादी थे) मौत के घाट उतरवा दिया होता तो आज भारतवर्ष के गौरव और प्रखर होता उसकी जड़ों को बेड़ियों में जकड़कर, 

अहिंसा की दीमक खोखली न कर चुकी होती- न कर रही होती, 

उसको हल्का लेने की कोई मुल्क हिम्मत न करता, आतंकवाद का चिरस्थाई दंश न झेलना पड़ रहा होता, कश्मीरी पंडित न निर्वासित हुए होते, बलूची-सिंधी-सिक्खों को न गाजर मूली की तरह काटा गया होता, 

माँ-बहू-बहन-बेटियों का बलात्कार न हुआ होता, 

हमारे इतने सैनिक भाई न शहीद हुए होते।


हमारे देश के कमज़ोर नेतृत्व ने बार बार हर बार अपनी कमजोरी, मक्कारी, चापलूसी, गद्दारी, लालच, भ्रस्टाचार को सिद्ध करने के लिए "अहिंसा" को चरम-परम उपयोगी उपकरण बनाया है और उसकी कटु-कीमत हमरे देश के जन-गण-मन ने चुकाई है।

परंतु

अब भारतवर्ष का उसके मस्तक उठाकर दीर्घ गर्जना में चिंघाड़ने का वक़्त आया चुका है, अब ये भारतवर्ष चुप बैठने वाला नहीं है, चुप कर देने वाला होने जा रहा है या कहें कि हो चुका है और दिन प्रतिदिन और भी सुदृण-शक्तिशाली होता जा रहा है। 

इसलिए

देश के लिए कैंसर यहाँ के आंतरिक गद्दारों को विशेषकर चेतावनी है कि या तो अपने मुँह में तिनका दबा के सुधर जाओ अन्यथा सुधार दिए जायेंगे।

एक भारत श्रेष्ठ भारत की तरफ़ अब इस देश का मुस्तक़बिल चल पड़ा है, जो भी इसकी राह में रोड़ा बनने की चेष्ठा भी करेगा, उसको ऐतिहासिक रूप से सुधार दिया जाएगा। 

अब ये रुकने वाला नहीं है बहुत हुआ अहिंसा के छद्मावरण के पीछे का चापलूसी-खुशामदी का दौर।

तद्दपि

उठो और इस राष्ट्रगौरवघोष के मंत्र को राष्ट्रसमरयज्ञ में सिद्ध करो।

माँ भारती की जय हो चिर दीर्घ दिगविजय हो।

शेष फ़िर !

:अधिवक्ता उत्तम चन्देल आगरा

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